स्वदेशी अभियान आपका स्वागत करता हैं

श्री राजीव दीक्षित जी की इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत और स्वावलंबी बनाना है, जिससे देश की आत्मगर्व बढ़े और लोगों को नई और बेहतर रोजगार की संभावनाएं मिलें।

परिचय

स्वदेशी एक ऐसा गहरा दर्शन हैं जो किसी भी देश को अपने पैरो पर खड़ा कर सकता हैं, यदि देश में पूंजी की जरूरत हैं तो पूंजी उत्पादन का तरीका बनाना ही पडेगा ना कि हम भीख मांगकर किसी देश की पूंजी लाएंगे - श्री राजीव दीक्षित जी

हमारी सेवाएँ

Rojgar

रोजगार

आज इस देश में बेरोजगारों की एक विशालकाय फौज खड़ी हो गई है। यह हरकत में आएगी तो देश का ही विनाश करेगी। सरकारों के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। वे समाधान के प्रति ईमानदार भी नहीं हैं, क्योंकि बेरोजगारी जैसे मुद्दे के सहारे उनकी राजनीति सधती है। ऐसे में देश के बेरोजगार युवकों से मेरी अपील यही है कि वे नौकरियों के पीछ बहुत समय न गँवाते हुए स्वदेशी उद्योग-धन्धे खड़े करने के काम में लगें तो उनका और राष्ट्र, दोनों का भला होगा। इस देश में स्वावलम्बन की अपार संभावनाएं हैं।

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Panchgavya

पंचगव्य

गोमूत्र माने देशी गाय (जर्सी नहीं) के शरीर से निकला हुआ सीधा साधा मूत्र जिसे सती के आठ परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो। गोमूत्र वात और कफ को अकेला ही नियंत्रित कर लेता हैं। पित्त के रोगों के लिए इसमें कुछ औषधियाँ मिलायी जाती हैं। आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने से दमा अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा सब ठीक होता हैं और गोमूत्र पीने से टीबी भी ठीक हो जाता हैं, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता हैं।

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Swadeshi Product

स्वदेशी कंपनी सूची

आज जहाँ भी रहते हैं । उसके आस-पास सैकड़ों स्वदेशी वस्तुएं बनती हैं, कृप्या आप इनके बारे में जानकारी करें और उन स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग एवं प्रचार करें । रातों-रात कोई भी स्वदेशी वस्तु विदेशी हो सकती हैं । भारत के बाजार में वैश्वीकरण की प्रक्रिया के बाद बहुत सारे ब्राण्ड वस्तुएँ स्वदेशी से विदेशी हो जाती हैं । कृपया आप अपने स्तर से अखबारों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से इस सन्दर्भ में ताजा जानकारी करते रहें ।

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Gurukul

गुरूकुल शिक्षा

हमारे गुरुकुलों में ऋषि – महार्षिओं ने पुरुषों की 72 कलाओं एवं स्त्रीओं की 64 कलाओं का प्रशिक्षण देकर भौतिक क्षेत्र में भी सभी को सामर्थवान् बना दिया था। सिर्फ इतना ही नहीं, उन कलाओं को धर्मकला से नियन्त्रित करके उन्हें आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर भी किया था। आज से 200 वर्ष पहले तक जिस प्रकार की उत्तम शिक्षा भारत में दी जाती थी, वैसी विश्व के किसी भी देश में नही दी जाती थी। अंग्रेजों के आगमन से पहले शिक्षा और विद्या प्रचार के क्षेत्र में भारत दुनिया के देशों में सबसे अग्रणी माना जाता था। हमारे प्राचीन भारत में शत-प्रतिशत साक्षरता थी।

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Vedic Math

वैदिक गणित

भारत में कम ही लोग जानते हैं कि वैदिक गणित नाम का भी कोई गणित हैं। जो जानते भी हैं, वे इसे विवादास्पद मानते हैं कि वेदों में किसी अलग गणना प्रणाली का उल्लेख हैं, पर विदेशों में बहुत से लोग मानने लगे हैं कि भारत की प्राचीन वैदिक विधि से गणित के हिसाब लगाने में न केवल मजा आता हैं, उससे आत्मविश्वास मिलता हैं और स्मरणशक्ति भी बढ़ती हैं, मन ही मन हिसाब लगाने की यह विधि भारत के स्कूलओं में शायद ही पढ़ाई जाती हैं। भारत के शिक्षाशास्त्रियों का अब भी यही विश्वास हैं कि असली ज्ञान-विज्ञान वही हैं, जो इंग्लैण्ड-अमेरिका से आता हैं।

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Swadeshi Utpad

स्वदेशी उत्पाद विधि

प्राकृतिक संसाधनों की भरभार है व पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, फसलों की विविधताएं है, खनिज संसाधन है, काम करने वाले अनगिनत हाथ है, और असली बात यह है कि हमारे देश में प्रतिभा है। जरूरत सिर्फ दृढ़ संकल्प जगाने की है, हम बहुत कुछ कर सकते है। सचमुच आज देश में स्वदेशी व्यवस्था कायम करने की महती आवश्यकता है, अन्यथा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खतरनाक किस्म की आर्थिक गुलामी से हम बच नहीं पाएंगे।

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Gurukul

भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति (सनातम धर्म) की जितनी मान्यताएं हैं उन्हें ऋषि-मुनियों और विद्वानों ने यूं ही बना दिया है या उन मान्यताओं के पीछे कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा है। पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, देवी-देवताओं का पूजन आदि क्या केवल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही किया जाता है शायद नहीं। इन पूजन के पीछे अवश्य ही अन्य कोई रहस्य भी है। वे रहस्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित है या अनुचित।

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Vedic Math

भारतीय इतिहास

1 सितम्बर 1857 से लेकर 1 नवम्बर 1858 तक हिन्दुतान से करीब 7 लाख क्रांतिकारियों का अंग्रेजो ने कत्ल करवा दिया। और कत्ल भी कैसे किया अगर आप सुनेगे तो हैरान हो जायेंगे। एक बिठुर नाम का छोटा सा शहर है कानपूर के नजदीक वहा के 2 बड़े क्रन्तिकारी थे नाना साहब पेशवा और तात्या टोपे। ये दोनों क्रांतिकारियों के शहर के 24 हजार लोगो को गोलियों और तलवार से काटकर मार दिया।

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Sanskrit Logo

संस्कृत सीखें

संस्कृत , विश्व की सम्भवतः प्राचीनतम भाषा है। इसे ' देवभाषा ' और ' सुरभारती ' भी कहते हैं। संस्कृत विश्व की अनेक भाषाओं की जननी है। संस्कृत में सनातन धर्म के अतिरिक्त बौद्ध एवं जैन धर्म का साहित्य भी विपुल मात्रा में उपलब्ध है। संस्कृत मात्र धर्म संबंधी साहित्य की ही भाषा नहीं है , अपितु संस्कृत में विज्ञान ( भौतिक, रसायन, आयुर्वेद, गणित, ज्योतिषादि ) विषयों के ग्रन्थों की सूची भी छोटी-मोटी नहीं है।

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यदि देश में पूंजी की जरूरत हैं तो पूंजी उत्पादन का तरीका बनाना ही पडेगा ना कि हम भीख मांगकर किसी देश की पूंजी लाएंगे - श्री राजीव दीक्षित जी

भगत सिंह

क्रान्तिकारी

मेरा जीवन ही मेरा संग्राम है, मेरा मरना ही मेरा जीतना है।

चंद्रशेखर आजाद

क्रान्तिकारी

स्वतंत्रता की क़ीमत सभी से अधिक है, और मैं इसके लिए किसी भी कीमत पर खड़ा होने को तैयार हूँ।

रामप्रसाद बिस्मिल

क्रान्तिकारी

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।

रानी लक्ष्मीबाई

स्वतन्त्रता संग्राम वीरांगना

मुझे स्वतंत्रता के लिए समर्पित करो, या मुझे मृत्यु के लिए लड़ने दो

राजीव दीक्षित जी

स्वदेशी क्रान्तिकारी

यदि आप किसी को रोटी खिलाते हैं तो उसका सिर्फ एक दिन पेट भरेगा, लेकिन आप उसे रोटी बनाने का तरीका सीखा देते हैं तो जिंदगी भर पेट भरेगा

Portfolio

दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं साबुन, शैम्पू, क्रीम, तेल, जूता, कपडे, पैन, घडी, मोबाईल, पानी की बोतल, चाय, काँफी, अचार का डिब्बा,......यहाँ तक नमक भी इनमें अधिकाँश वस्तुऐं विदेशी होती है। अभी भी वक्त है अगर अभी भी हमने ध्यान नहीं दिया तो भारत में आर्थिक गुलामी आ जायेगी। भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियों की गुलाम बन जायेगी।

सवाल-जवाब

यदि आप किसी को रोटी खिलाते हैं तो उसका सिर्फ एक दिन पेट भरेगा, लेकिन आप उसे रोटी बनाने का तरीका सीखा देते हैं तो जिंदगी भर पेट भरेगा - श्री राजीव दीक्षित जी

- प्राचीन गुरूकुलों में वेद, दर्शन, उपनिषद, व्याकरण आदि आर्ष ग्रन्थ पढ़ाये जाने के साथ साथ गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, भूगोल, खगोल, अन्तरिक्ष , गृह निर्माण, शिल्प, कला, संगीत, तकनीकी, राजनीती, अर्थशास्त्र, न्याय, विमान विद्या, युद्ध, अयुद्ध निर्माण, योग, यज्ञ एवं कृषि इत्यादि जो मनुष्य के भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिये आवश्यक होते हैं वे सभी पढ़ाये जाते थे ।

राष्ट्र की खोई गरिमा गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की पुनः स्थापना करने से आयेगी ।

हम सभी उच्च शिक्षा व माध्यम शिक्षा से निकले है। लेकिन जो बात हमें पढ़ाई जाती है, कि भारत सबसे ज्यादा पिछ़ड़ा देश रहा। फिर पढ़ाया जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब देश भारत रहा, भारत ने दुनिया को कुछ नही दिया, फिर पढ़ाया जाता है कि यदि अंग्रेज भारत नही आते तो कुछ नही होता, अंग्रेज नही आते तो शिक्षा नही होती, अंग्रेज नही आते तो विज्ञान नही आता, अंग्रेज नही आते तो टेक्नोलॉजी नही आती, अंग्रेज नही आते तो ट्रेन नही आती, अंग्रेज नही आते तो हवाई जहाज नही होता, ऐसी बाते हम बचपन से पढ़ते आते है, सुनते आते हैं, और आपस में चर्चाये भी करते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा दुख और दुर्भाग्य इस बात का है कि अध्यापक हम सब को यह पढ़ाते हैं।

ओटावा स्थिति इंटरनेशनल डेवेलपमेंट रिसर्च सेंटर का दावा है कि तथाकथित विकसित देशों में ही कीटनाशकों के जहर से हर वर्ष दस हजार आदमी मर जाते हैं और दूसरे चार लाख आदमी तरह-तरह के विपरीत परिणामों से पीड़ित होते हैं। ऐसे जहरों को हम क्या कहेंगे- कीटनाशक या मानव भक्षक? इनके मुख्य शिकार खेत मजदूर होते हैं। पाश्चात्य देशों में जिन पर पांबदी लगाई गयई हैं, वैसे रसायन तीसरे विश्व में उड़ेले जाने के कारण यह परिस्थिति पैदा हुई है। महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में रूई(कपास) उगाने वाली पट्टी में इन कीटनाशकों के कारण खेत मजदूरों में अन्धत्व, कैंसर, अंगविकृतियां, लीवर के रोग तथा ज्ञानतन्तुओं के रोग होने के उदाहरण पाये गये हैं।

बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों द्वारा भारी मात्रा में दवा निर्माण के कारण और उनकी खपत करवाने के कारण चिकित्सा और दवा उद्योग की कार्य प्रणाली में भारी परिवर्तन आया। दोनों एक दूसरे के पूरक बन गये। व्यावसायिक रूप से तैयार होते चिकित्सकों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरु कर दिया। वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एजेण्ट बन गये और दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों ने ढ़ेर सारे प्रलोभन और सुविधाएँ डॉक्टरों को उपलब्ध कराना शुरु कर दिया हैं।

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