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गुरुकुल शिक्षा

प्राचीन समय में भारत में करीब 18 लाख गाँव थें, और प्रत्येक गाँव में एक या दो गुरुकुल थे । जहाँ सभी वर्गों को समान विद्य़ा सिखाई जाती थी । - श्री राजीव दीक्षित जी

गुरुकुल संस्थान सूची

क्रम संख्या गुरुकुल नाम पता
1 गोतीर्थ विद्यापीठ (प्राचीन शिक्षा प्रणाली) अहमदाबाद, गुजरात, 7405097771, info@gotirthvidyapeeth.in
2 बाबा जयराम दास ज्ञान भूमि राजीव दीक्षित गुरुकुल, पाली, महेन्द्रगढ़, हरियाणा, 9910654395
3 हेमचन्द्राचार्य गुरुकुलम् हीरा जैन सोसायटी के निकट, रामनगर, साबरमती, अहमादाबाद, गुजरात, 9033543543
4 श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर, जयपुर Jain Nasiya Rd, Veerorodaya Nagar, Shikdrpura Rd, Sanganer, Jaipur, Rajasthan, 302029, 0141 2730552
5 ज्ञानभूमि गुरुकुल हांसी हरियाणा 9729619647
6 संस्कृति आर्य गुरुकुलम् Rajkot, Gujarat 9265614552
7 Panini Kanya Mahavidyalaya (पाणिनी कन्या महाविद्यालय) B-38, 77-A, Mahmoorganj Rd, Tulsipur, Mahmoorganj, Varanasi, Uttar Pradesh 221010 Phone: 092355 39740 पाणिनि कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में छात्राओं की कुल संख्या 100 है। गुरुकुल लगभग दो एकड़ भूमि में बना हुआ है। गुरुकुल की भूमि एवं भवन गुरुकुल के अपने नाम पर पंजीकृत हैं। गुरुकुल द्वारा विद्याध्ययन के अतिरिक्त निम्न प्रकल्प भी संचालित होते हैं: 1- प्रकाशन कार्य। 2- गोशाला का संचालन। 3- ललित कलाओं का प्रशिक्षण। 4- कम्प्यूटर विषयक प्रशिक्षण। 5- सिलाई, कढ़ाई व बुनाई का प्रशिक्षण।
8 Darshan yog Mahavidyalaya दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़ गुजरात आर्यवन , रोजड़,पत्र - सागपुर,ता - तलोद , जि - साबरकांठा , गुजरात - 383307 +91-2770-287418 / 287518 9409415011 / 9409415017 darshanyog@gmail.com https://www.darshanyog.org
9 Darshan yog Mahavidyalaya (दर्शन योग महाविद्यालय, हरियाणा) (वैदिक दर्शन अध्यापन तथा ध्यान योग प्रशिक्षण का आदर्श संस्थान) महत्मा प्रभु आश्रित कुटिआ, जलेवी रोड, सुंदरपुर, रोहतक, हरियाणा-124001 +917027026175, +917027026176
10 Shrimad Dayanand Kanya Gurukul Mahavidyalaya Chotipura, (श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा) Amroha (Uttar Pradesh) अमरोहा (उप्र) Gurukul Chotipura is located 2KM north of Rajabpur, which is 115 KM east of Delhi and 45 KM west of Moradabad on Delhi-Moradabad Highway (NH24) http://gurukulchotipura.org
11 Arya Kanya Gurukul (आर्य कन्या गुरुकुल महाविद्यालय नवलपुर बिजनौर, उप्र) Bus Stop, Jeevan Puri, Meerut Rd, Uttar Pradesh 246701 Arya Kanya Gurukul (आर्य कन्या गुरुकुल, दिल्ली) Bhoj Raj Vanjani Marg, New Rajinder Nagar, New Delhi, Delhi 110060 Phone: 011 2874 1518
12 Arya Kanya Gurukul College Of Education (आर्य कन्या गुरुकुल, हरियाणा) Mor Majra, Haryana 132046 Phone: 01749 275 439
13 Arsh Kanya Gurukul (अर्श कन्या गुरुकुल, नोएड़ा) Sorkha Village Rd, Sector 115, Noida, Uttar Pradesh 201304
14 आर्यवन आर्य कन्या गुरुकुल आर्यवन, रोज़ड़ पर। - सागपुर, ता. - तलोद डि साबरकांठा - 383307 गुजरात, भारत मोबाइल - +91 95028 63490 ई-मेल - aryavanarshakanya@gmail.com
15 Dev Sanskriti Vishwavidyalaya (देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार) Haripur Kalan, Motichur Range, Uttarakhand 249411 Campus: Suburban Phone: 01334 261 367
16 Gargi Sanskrit Vidyalaya, Bhopal (गार्गी संस्कृत विद्यालय भोपाल) मैथ्स-साइंस के साथ आयुर्वेद की भी पढ़ाई, कम्प्यूटर भी संस्कृत में
17 Maharshi Patanjali Sanskrit Sansthan, Bhopal (महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान) आर- २४ जोन 1, ऍम. पी नगर भोपाल - 462021 फोन नं.- 0755-2576215, 0755-2576214, 0755-2576209 ई-मेल : maharshipatanjali2014@gmail.com
18 महात्मा सत्यानंद मुंजाल आर्य कन्या गुरुकुल 4L, Pritm Nagar, Model Town, Ludhiana, Punjab Sharda Vihar, Bhopal (शारदा विहार भोपाल) 0755 269 6645 sharda.vihar9@gmail.com
19 Kanya Gurukul Mahavidyalaya (कन्या गुरुकुल महाविद्यालय) 60, Rajpur Rd, Kandholi, Chironwali, Dehradun, Uttarakhand 248001 Phone: 0135 274 8334
20 Gargi Vedic Kanya Gurukul (गार्गी वैदिक कन्या गुरुकुल) कैराना:-क्षेत्र के गांव कनियान Shamli, Uttar Pradesh 247771
21 Banasthali University (बनसथली विश्वविद्यालय) Vanasthali Rd, Aliyabad, Rajasthan 304022 Phone: 01438 228 456
22 Pratibhasthali Gyanodaya Vidyapeeth (प्रतिभास्थाली ज्ञानोदय विद्यापीठ) Uday Nagar, Brijeshwari Main, Indore, Madhya Pradesh 452016 Phone: 097546 26800
23 Kanya Gurukul Mahavidyalaya Hathras (कन्या गुरूकुल महाविद्यालय हाथरस) Aligarh- Agra Road, Sasni, Uttar Pradesh 204216 Phone: 080063 40583
24 आचार्यकुलम , पतंजलि योग पीठ हरिद्वार ( लड़के और लड़कियों दोनों के लिए ) P.O. - Patanjali Yogpeeth, Near Patanjali Yogpeeth Phase - I, Haridwar - 249405, Uttarakhand, Bharat E-mail: info@acharyakulam.org Website: http://www.acharyakulam.org/ Phone: 01334 273 021 Tel.: +91 - 01334-273400, 8954890551, 8954890253
25 किशनगढ़ घासेड़ा गुरुकुल , रेवाड़ी हरियाणा ( केवल लड़कों के लिए ) Phone 01274 - 247220 08222889104 08222889112 09416347551 Website : http:www.gurukulrewari.com ईमेल : gkgrewari@gmail.com
26 Gurukul Kurukshetra - ( लड़के और लड़कियों दोनों के लिए ) 136119 (Near University III Gate, Kurukshetra University) Haryana, INDIA Phone: 91 - 01744-238048, 238648 099960-26045, 099960-26338 , 99960-26306, 099960-26339, 099960-26046 E-mail: gurukul_kkr@yahoo.com, website: www.gurukulkurukshetra.com
27 Girls Samvid gurukul ( केवल लड़कियों के लिए ) http://www.samvidgurukulam.org/ Address : Vatsalya Gram, Mathura-Vrindavan Marg, Post - Prem Nagar, Vrindavan - 281003, India Phone : +91-9412777152, 9412777154 Email : principal@samvidgurukulam.org Website : www.samvidgurukulam.org
28 SAMVID GURUKULAM NALAGARH ( केवल लड़कों के लिए ) Village Bariyan, Tehsil Nalagarh, Pin code: 174101 , Distt. Solan, Himachal Pradesh, India infosamvidnlg@vatsalyagram.org admissionsamvidnlg@gmail.com +91-7876004251, 7876036470, 7457870002, 7876010723
29 Ram Sanskrit Mahavidyalaya (राम संस्कृत महाविद्यालय) SH 11, Janki Kund, Chitrakoot, Madhya Pradesh 485334 आर्य कन्या गुरुकुल, दयानंद वाटिका, शिवगंज जिला- सिरोही, पिन- 307027, राजस्थान, भारत
30 Arya Kanya Gurukul, Dayanad Vatika, Shivganj Dist- Sirohi, PIN- 307027, Rajasthan, Bharat (India) दूरभाष: +91 2976270629 चलभाष : +91 9680674789, +91 9414533951 संदेशवाहक WhatsApp : +91 9461216495 ईमेल Email📧: gurukulsheoganj@gmail.com Website: www.arya-kanya-gurukul-shivganj.org Facebook: https://www.facebook.com/aryaknya.shivganj
31 VAIDIC KANYA GURUKUL TRUST FATUHI SRIGANGANAGAR State RAJASTHAN Shree Mallika Vidyapeeth Gurukul Tikapur टिकापुर रोड, Tikapur 10901, Nepal Phone: +977 988-4433226
32 Dhiranwas Gurukul (धिरंवास गुरूकुल) 3HVV+8GC, Dhiranwas, Haryana 125001 PANDIT LEKHRAM ARSH GURUKUL MAHAVIDYALAY Palghat KERALA
33 श्रीमती चंद्रावती कन्या गुरुकुल विद्यापीठ Prahladpur, Uttar Pradesh 207403 वैष्णव विवेक विद्यालय ( VAISHNAV VIVEK VIDHYALYA ) Cross Road Mall, SF 27, Vidyadhar Nagar, Jaipur, Rajasthan 302039 Phone: 093140 32511
34 Maithreyee Gurukulam Ajeya Trust Moorkaje, Post - Kodangayi Vitla, Padnooru Village - 574 243 Bantwal - Taluk, Dakshina Kannada Karnataka State, India Phone (08255) 265355 9480266366, 9480574350, 9449564552 Email maitreyeegurukula@gmail.com
35 श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकल महाविद्यालय Rajabpur, Jyotiba Phule Nagar, Uttar Pradesh 9412322258
36 गुरुकुल आश्रम अमसेना Amsena Rd, Dhumerpani, Odisa 766104 07873111213
37 शिवालिक गुरुकुल Aliyaspur, Sarawan, Mullana Ambala, Haryana 133206 9671228002, 9671228003
38 श्री स्वामी नारायण गुरुकुल Nikol gam Rd, Ahmedabad, Gujarat 897007222 ahmedabad@gurukul.org
39 गुरुकुल सुपा Navsari, Bardoli Road, 396418 noreply@aryasmaj.org

सवाल-जवाब

यदि आप किसी को रोटी खिलाते हैं तो उसका सिर्फ एक दिन पेट भरेगा, लेकिन आप उसे रोटी बनाने का तरीका सीखा देते हैं तो जिंदगी भर पेट भरेगा - श्री राजीव दीक्षित जी

- प्राचीन गुरूकुलों में वेद, दर्शन, उपनिषद, व्याकरण आदि आर्ष ग्रन्थ पढ़ाये जाने के साथ साथ गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, भूगोल, खगोल, अन्तरिक्ष , गृह निर्माण, शिल्प, कला, संगीत, तकनीकी, राजनीती, अर्थशास्त्र, न्याय, विमान विद्या, युद्ध, अयुद्ध निर्माण, योग, यज्ञ एवं कृषि इत्यादि जो मनुष्य के भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिये आवश्यक होते हैं वे सभी पढ़ाये जाते थे ।

राष्ट्र की खोई गरिमा गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की पुनः स्थापना करने से आयेगी ।

हम सभी उच्च शिक्षा व माध्यम शिक्षा से निकले है। लेकिन जो बात हमें पढ़ाई जाती है, कि भारत सबसे ज्यादा पिछ़ड़ा देश रहा। फिर पढ़ाया जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब देश भारत रहा, भारत ने दुनिया को कुछ नही दिया, फिर पढ़ाया जाता है कि यदि अंग्रेज भारत नही आते तो कुछ नही होता, अंग्रेज नही आते तो शिक्षा नही होती, अंग्रेज नही आते तो विज्ञान नही आता, अंग्रेज नही आते तो टेक्नोलॉजी नही आती, अंग्रेज नही आते तो ट्रेन नही आती, अंग्रेज नही आते तो हवाई जहाज नही होता, ऐसी बाते हम बचपन से पढ़ते आते है, सुनते आते हैं, और आपस में चर्चाये भी करते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा दुख और दुर्भाग्य इस बात का है कि अध्यापक हम सब को यह पढ़ाते हैं।

भाषाएँ :- संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, हिंदी एवं अंग्रेजी ।
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वैदिक गणित :- महर्षिओं द्वारा रचित शास्त्र ग्रंथो में दर्शाए गए १६ सूत्रों के आधार पर निर्मित गणना पद्धति का अभ्यास ।
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गणित :- गणना की सरल और शीघ्र पद्धतियाँ एवं व्यवहारिक गणनाओं का अध्ययन ।
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ज्योतिष् शास्त्र :- पंचांग, होरा, सुवेला, चोघडीया, मुहूर्त, कुंडली-फ़लादेश, शुकन शास्त्र, हस्त रेखा, अष्टांग निमित्त इत्यादि का अध्ययन ।
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आयुर्वेद :- दिनचर्या, ऋतुचर्या एवं जीवनचर्या के विषय पर आधारित ग्रंथो का अध्ययन ।
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वास्तु शास्त्र :- गृह, मंदिर एवं व्यापारिक संस्थान के निर्माण हेतु वास्तु शास्त्र के आधार पर पूर्वाचार्यो रचित शास्त्रों का अध्ययन ।
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धर्म शास्त्र :- आध्यात्मिक शक्ति के विकास में सहायक धर्म ग्रंथो का अध्ययन ।
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इतिहास :- रामायण, महाभारत, जैन धर्म का इतिहास एवं विश्व की विभिन्न परम्पराओं का ज्ञान ।
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योग शास्त्र :- विविध योगासन, प्राणायाम, ध्यान, साधना आदि का ज्ञान ।
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न्याय शास्त्र :- तर्क संग्रह, मुक्तावली इत्यादि विषयों का ज्ञान ।
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व्यवसाय विद्या :- हिसाब लेन-देन, ख़रीदना-बेचना, उत्पादन व निर्माण, व्यवस्था व संचालन, प्रचार-प्रसार इत्यादि का अध्ययन ।
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अर्थ शास्त्र :- वित्तीय व्यवस्था एवं मूल्याङ्कन, व्यावसायिक परिस्थिति इत्यादि का अध्ययन ।
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कृषि व पशु शास्त्र :- आबोहवा, भूमि, कृषि, बियारण, जल इत्यादि के माध्यम से पशु आधारित जैविक कृषि एवं पशु पालन का ज्ञान ।
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पर्यावरण शास्त्र :- जल, जमीं, जंगल एवं पशु संबधित विषयों का ज्ञान ।
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समाज शास्त्र :- सामाजिक व्यवस्था, ग्राम्य रचना, व्यक्ति विशेष के जीवन चरित्र इत्यादि का विवरण ।
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भूगोल शास्त्र :- देश, दुनिया, समुद्र, पर्वत, खंड, उपखंड इत्यादि विषयों का ज्ञान और संग्रहणी एवं क्षेत्रसमास का अध्ययन।
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खगोल शास्त्र :- अंतरिक्ष का अवलोकन एवं ग्रह, तारा और सूर्य-चन्द्र का ज्ञान ।

गायन : - भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र आधारित जाती गायन और शास्त्रीय, सुगम एवं विभिन्न रागों का ज्ञान व तालीम ।
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वादन : - जलतरंग, सितार, ढोलक, तबला, हार्मोनियम, डफ, मंजीरा, पखवाज, संतूर, वायोलिन, सारंगी, बांसुरी, सरोद, मृदंग, नगाड़ा, शंख, तानपुरा, करताल इत्यादि प्राचीन वाद्यों की तालीम ।
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नृत्य कला :- कथ्थक, भरतनाट्यम्, लोकनृत्य, रास, दीवा नृत्य, बाम्बू नृत्य, भांगड़ा नृत्य, चामर नृत्य, डांगी नृत्य, झांझ नृत्य इत्यादि की तालीम ।
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चित्र कला :- रेखा चित्र, आकृतियाँ, वास्तविक चित्र, वार्ली पेन्टिंग, व्यंग चित्र, छाया चित्र, ग्लास पेन्टिंग, क्राफ्ट इत्यादि की तालीम ।
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अभिनय / नाट्यकला :- नाटक, एकांकी नाटक, अभिनय, संवाद, मुखमुद्राएँ और शारीरिक चेष्टाएँ ।
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परामेधा (मिड ब्रेन) :- आँखों पर पट्टी बांध कर रूबिक्स क्यूब को सुव्यवस्थित करना, स्पर्श मात्र से रंग परखना, सूंघकर करेंसी नोटों को परखना एवं नंबर बताना इत्यादि ।
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संभाषण :- वक्तृत्व, भाषण, कहानी कथन इत्यादि की तालीम ।
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जादू कला :- जादू के मूलभूत सिद्धांत व विभिन्न खेल ।
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पाक कला :- स्वास्थ्य अनुकूल षड् रसयुक्त, स्वादिष्ट एवं ऋतु अनुरूप विभिन्न प्रकार के भोजन बनाना ।
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सिलाई कला / गुंथन कला :- गुंथाई (भरतकाम), विविध टांकें का ज्ञान, कांतना, चरखा चलाना इत्यादि ।
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शृंगार कला :- मंडप-शृंगार, गृह-शृंगार, मंच - शृंगार ।
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लेखन कला :- हस्तलेखन, सुलेखन (कैलीग्राफी), कहानी लेखन, अहेवाल लेखन, योजना पत्र, भाषण, काव्य, नाटक , संवाद इत्यादि ।
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अन्य कला :- लीपन कला, मिट्टी कला, मोतीकाम, एक्यूप्रेशर, नेतृत्व कला, गहूँली, रंगोली, कोठार व्यवस्था, अतिथि सत्कार इत्यादि ।

उत्तिष्ठ - ब्रह्म मुहूर्त में उठना ।
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योग - योग, ध्यान व प्राणायाम ।
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दर्शन- दर्शन, प्रार्थना एवं पच्चक्खाण ।
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गौ-दोहन- गौ-दोहन, त्रिफलांजन, दंतमंजन, धारोष्ण दुग्धपान एवं नवकारशी ।
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पठन- संस्कृत व धार्मिक पठन ।
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प्रभु पूजा- स्नान व प्रभु पूजा ।
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भोजन- मध्याह्न भोजन एवं वामकुक्षी ।
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अध्ययन- ज्योतिष, वैदिक गणित, चित्रकला, संगीत इत्यादि विभिन्न विषयों का अध्ययन ।
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तालीम एवं क्रीडा- रोप-पोल मलखम, कसरत - व्यायाम, घुड़सवारी, विभिन्न शारीरिक तालीम एवं क्रीडा ।
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सायं भोजन- सायं भोजन, स्वैर विहार इत्यादि ।
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प्रभु भक्ति- दर्शन, संध्या भक्ति, प्रभु भक्ति इत्यादि ।
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गायन-वादन- गायन-वादन, नाट्य, वक्तृत्व इत्यादि कला-कुशलताओं का प्रशिक्षण ।

साक्षरता विषयक-कुशलता :- श्रवण, पठन, लेखन ।
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अश्व संचालन : घोड़ा एवं घोड़ागाड़ी कुशलता से चलाना, अश्व के ऊपर विविध प्रकार के आसन करना, अश्व के साथ विविध करतब करना इत्यादि ।
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कसरत - व्यायाम : विविध प्रकार की दौड, लंबी कूद, उंची कूद, गोला फेंक, चक्र फेंक, बरछी (भाला) फेंक इत्यादि ।
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शरीर सौष्ठव की तालीम व क्रियाएं : रोप मलखम, पोल मलखम, जिम्नास्टिक, लाठी दांव, जूडो, कुश्ती, कराटे, मार्शल आर्ट, नून चाकू इत्यादि ।
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स्वदेशी खेल-कूद : २०० से अधिक देशी खेल में कुशलता ।
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आयोजन (Management) : कार्यक्रम-महोत्सव, यात्रा प्रवास इत्यादि का आयोजन करने में कुशलता ।
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भक्ति विषयक : आरती उतारना, भगवान् की अंगरचना करना, दिया तैयार करना, धूप करना इत्यादि ।
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गौशाला विषयक : गौ दोहन, गोबर के कंडे (छाणा) थापना, दही मंथन इत्यादि ।
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रोज-ब-रोज की बातें : वस्त्र धोना, साफ-सफाई करना, आलमारी - पेटी को सजाना इत्यादि ।

न्याय, नीतिमत्ता, प्रामाणिकता, सदाचार, संतोष, मैत्री एवं नम्रता जैसे गुणों का विकास एवं उच्च नैतिक मूल्यों से समाज एवं परिवार का गौरव बढ़ा शके ऐसे सशक्त छात्रों का निर्माण हमारी प्राथमिकता हैं ।

घर में न रहकर गुरू के अधीन रहते हुए ब्रह्मचर्य पूर्वक त्याग, तपस्या युक्त जीवन यापन करते हुए विद्या अर्जन करना गुरूकुल शिक्षा प्रणाली है ।

जो आचार्य कुल में रहकर शरीर की रक्षा, चित की रक्षा करते हुए विद्या के लिये प्रयत्न करे उसे ब्रह्मचारी या ब्रह्मचारिणी कहते हैं ।

गुरूकुल में 6 वर्ष की आयु में प्रवेश होता है । या अपवाद रूप में किसी गुरूकुल में बड़ी आयु में भी प्रवेश होता ही है

गुरूकुल में अमीर, गरीब, राजा, दरिद्र, आदिवासी, अछूत सबका समान रूप से प्रवेश हो सकता है, कोई भेद भाव नहीं है ।

गुरूकुलीय विद्यार्थीयों का भोजन शुद्ध, सात्विक तथा वस्त्र सभ्य शिष्ट आदर्श होते हैं ।

प्राचीन गुरूकुलों में वेद, दर्शन, उपनिषद, व्याकरण आदि आर्ष ग्रन्थ पढ़ाये जाने के साथ साथ गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, भूगोल, खगोल, अन्तरिक्ष , गृह निर्माण, शिल्प, कला, संगीत, तकनीकी, राजनीती, अर्थशास्त्र, न्याय, विमान विद्या, युद्ध, अयुद्ध निर्माण, योग, यज्ञ एवं कृषि इत्यादि जो मनुष्य के भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिये आवश्यक होते हैं वे सभी पढ़ाये जाते थे ।

गुरूकुल में पढ़ाई का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होता था ।

सामान्यतः प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर विद्यार्थीगण उठते थे, शौच आदि क्रिया से निवृत होकर ऊषा पान ( तांबे के बर्तन का जल पीना ) करते थे । फिर व्यायाम, स्नान, संध्या, प्राणायाम, अग्निहोत्र ( यज्ञ ) आदि के बाद भोजन करते थे । और फिर विद्या का अध्ययन आरम्भ होता था । जिसमें महत्वपूर्ण विषय आते थे । कक्षाओं में न पढ़ाकर वृक्षों के नीचे या प्राकृतिक वातावरण में पढ़ाया जाता था । सूर्यास्त के समय संध्या अग्निहोत्र आदि से निवृत होकर विद्यार्थी रात्री का भोजन करके विश्राम करते थे । भोजन केवल दो बार ही मिलता था । क्योंकि मनुष्य को दीर्घायु के लिये दो समय ही भोजन करना उचित है ।

प्राचीन काल में गुरूकुल शिक्षा निःशुल्क थी ।

गुरुकुलों का खर्च ग्रामीणों के दान से और सरकार के द्वारा चला करता था ।

गुरूकुल ग्रामों से दूर अरण्य ( वन ) में बसाये जाते थे ।

गुरूकुल बालकों और बालिकाओं के दोनो के हुआ करते थे । और दोनों के गुरूकुलों में दूरी कम से कम 12 कोस की हुआ करती थी ।

गुरूकुलों की शिक्षा का माध्यम संस्कृत ही था और सदा संस्कृत ही रहेगा ।

भारत में गुरूकुल शिक्षा प्रणाली आदिकाल से है । जब से मनुष्य की उत्पत्ति हुई है ।

यह समूचे भरतखंड की सीमा त्रिविष्टिप ( तिब्बत ) से लेकर सींहल द्वीप ( श्रीलंका ) , ब्रह्मदेश ( म्यांमार ) से लेकर काम्बोज ( अफगानिस्तान ) तक थी । तो हर गाँव में कम से कम एक गुरूकुल था, किसी में तो तीन भी पाये जाते थे, हम औसतन 2 मान कर चलें तो, भारत में करीब 18 लाख के गाँव थे । तो कुल योग हुआ 18 x 2 = 36 लाख कम से कम गुरूकुल आर्यवर्त की सीमाओं में पाये जाते थे । तो पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण में श्रीलंका तक करीब इतने वैदिक गुरूकुल थे जहाँ, बच्चे शिक्षा प्राप्त करते थे । इससे अधिक भी हो सकते हैं । परंतु इससे कम नहीं ।

नालंदा विश्वविद्यालय , तक्षशिला विश्वविद्यालय, वल्लभीपुर आदि प्रसिद्ध हैं ।

आधुनिक काल में सर्व प्रथम हरिद्वार के कांगड़ी नामक गाँव में सन् 1902 में गुरूकुल की स्थापना स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जी ने की थी ।

राष्ट्र की खोई गरिमा गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की पुनः स्थापना करने से आयेगी ।

राम, कृष्ण, वशिष्ठ, कपिल, कणाद, भीष्म, गौतम, पतंजली, धनवंतरी, परशूराम, अर्जुन, भीम, द्रोण, याज्ञवलक्य, गार्गी, मैत्रेयी, द्रौपदी, अंजना आदि महान आत्मायें गुरूकुलों से ही हुईं हैं ।