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"स्वास्थ्य, समृद्धि और संपूर्ण विकास की कुंजी हमारे प्राचीन ग्रंथों और पारंपरिक ज्ञान में छिपी है। आइए, इन्हें अपनाएं और जीवन को सच्चे अर्थों में समृद्ध बनाएं।"

अष्टांगहृदयम् भाग 1
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अष्टांगहृदयम् भाग 2
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अष्टांगहृदयम् भाग 3
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सम्पूर्ण चिकित्सा
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स्वदेशी चिकित्सा एवं व्यवस्था
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सौन्दर्य चिकित्सा
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औषधीय पौधो का महत्व
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हम कितने शाकाहारी हैं
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स्वावलम्बी चिकित्सा
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होम्योपैथी चिकित्सा
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मांसाहार से हानियाँ
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स्वस्थ जीवन के सरल उपाय
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प्रभावशाली चिकित्सा
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रोग एवं उनके योग
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हस्त मुद्रा योग
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रोगी रोग मुक्त बिना दवाई
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स्वस्थ जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धान्त
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एक्यूप्रेशर पद्धति
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घरेलू नुस्खे
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पानी पीने का तरीका
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गुणकारी पत्तियाँ
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भोजन के लिए उत्तम धातु
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स्वस्थ रहने की कुंजी
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खाद्य तेलो की सच्चाई
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स्वदेशी उत्पाद विधि भाग 1
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स्वदेशी उत्पाद विधि भाग 2
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स्वदेशी उत्पाद विधि भाग 3
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स्वदेशी उत्पाद सूची
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स्वदेशी उत्पाद एवं विदेशी उत्पाद सूची
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स्वदेशी मिशन
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राजीव दीक्षित जी के विचार
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आजादी का असली इतिहास
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गुलामी और लूट के दस्तावेज
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भारत का संविधान
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यूरोप की प्राइवेट लाइफ
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बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मौत का व्यापार
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पेप्सी कोला का सच
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बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मकड़जाल
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सच्चे स्वराज की रूपरेखा
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स्वदेशी भारत
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विश्व को भारत की देन
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भारत की लूट एवं बदनामी
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कौन था मैकाले?
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वैदिक गणित भाग 1
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वैदिक गणित भाग 2
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गुरुकुल शिक्षा
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बाल संस्कार
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गौमाता आधारित खेती
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जीरो बजट खेती
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गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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गौमाता की चिकित्सा
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भारतीय संस्कृति एवं विज्ञान
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श्री राम कथा में भारत की सभी समस्याओं का समाधान
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17वीं शताब्दी में भारत का विज्ञान
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आत्मरक्षा के गुर सीखे
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उर्दू से शुद्ध हिन्दी
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बैंको का मायाजाल
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इल्युमीनाटी
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जीवन मे महत्वपूर्ण उपयोगी 1500+ पुस्तके।।
1. वैदिक गणित की 3 पुस्तकें
2. वेद पुराण की सभी पुस्तकें
3. 350 लघु और कुटीर उद्योग पुस्तकें
4. श्री राजीव दीक्षित पुस्तकें
5. आयुर्वेदिक पुस्तकें(अष्टांगहृदय सहित)
6. सनातन धर्म पर आधारित 500 पुस्तकें
7. मोटिवेशनल बुक्स
8. धन कमाने की पुस्तकें
9. प्रतियोगी परीक्षा हेतु 800 Books
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सवाल-जवाब

यदि आप किसी को रोटी खिलाते हैं तो उसका सिर्फ एक दिन पेट भरेगा, लेकिन आप उसे रोटी बनाने का तरीका सीखा देते हैं तो जिंदगी भर पेट भरेगा - श्री राजीव दीक्षित जी

- प्राचीन गुरूकुलों में वेद, दर्शन, उपनिषद, व्याकरण आदि आर्ष ग्रन्थ पढ़ाये जाने के साथ साथ गणित, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, चिकित्सा, भूगोल, खगोल, अन्तरिक्ष , गृह निर्माण, शिल्प, कला, संगीत, तकनीकी, राजनीती, अर्थशास्त्र, न्याय, विमान विद्या, युद्ध, अयुद्ध निर्माण, योग, यज्ञ एवं कृषि इत्यादि जो मनुष्य के भौतिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिये आवश्यक होते हैं वे सभी पढ़ाये जाते थे ।

राष्ट्र की खोई गरिमा गुरूकुल शिक्षा प्रणाली की पुनः स्थापना करने से आयेगी ।

हम सभी उच्च शिक्षा व माध्यम शिक्षा से निकले है। लेकिन जो बात हमें पढ़ाई जाती है, कि भारत सबसे ज्यादा पिछ़ड़ा देश रहा। फिर पढ़ाया जाता है कि दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब देश भारत रहा, भारत ने दुनिया को कुछ नही दिया, फिर पढ़ाया जाता है कि यदि अंग्रेज भारत नही आते तो कुछ नही होता, अंग्रेज नही आते तो शिक्षा नही होती, अंग्रेज नही आते तो विज्ञान नही आता, अंग्रेज नही आते तो टेक्नोलॉजी नही आती, अंग्रेज नही आते तो ट्रेन नही आती, अंग्रेज नही आते तो हवाई जहाज नही होता, ऐसी बाते हम बचपन से पढ़ते आते है, सुनते आते हैं, और आपस में चर्चाये भी करते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा दुख और दुर्भाग्य इस बात का है कि अध्यापक हम सब को यह पढ़ाते हैं।

ओटावा स्थिति इंटरनेशनल डेवेलपमेंट रिसर्च सेंटर का दावा है कि तथाकथित विकसित देशों में ही कीटनाशकों के जहर से हर वर्ष दस हजार आदमी मर जाते हैं और दूसरे चार लाख आदमी तरह-तरह के विपरीत परिणामों से पीड़ित होते हैं। ऐसे जहरों को हम क्या कहेंगे- कीटनाशक या मानव भक्षक? इनके मुख्य शिकार खेत मजदूर होते हैं। पाश्चात्य देशों में जिन पर पांबदी लगाई गयई हैं, वैसे रसायन तीसरे विश्व में उड़ेले जाने के कारण यह परिस्थिति पैदा हुई है। महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में रूई(कपास) उगाने वाली पट्टी में इन कीटनाशकों के कारण खेत मजदूरों में अन्धत्व, कैंसर, अंगविकृतियां, लीवर के रोग तथा ज्ञानतन्तुओं के रोग होने के उदाहरण पाये गये हैं।

बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों द्वारा भारी मात्रा में दवा निर्माण के कारण और उनकी खपत करवाने के कारण चिकित्सा और दवा उद्योग की कार्य प्रणाली में भारी परिवर्तन आया। दोनों एक दूसरे के पूरक बन गये। व्यावसायिक रूप से तैयार होते चिकित्सकों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाना शुरु कर दिया। वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एजेण्ट बन गये और दूसरी तरफ बहुराष्ट्रीय दवा कम्पनियों ने ढ़ेर सारे प्रलोभन और सुविधाएँ डॉक्टरों को उपलब्ध कराना शुरु कर दिया हैं।