हमारी सेवाएँ

रोजगार
आज इस देश में बेरोजगारों की एक विशालकाय फौज खड़ी हो गई है। यह हरकत में आएगी तो देश का ही विनाश करेगी। सरकारों के पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है। वे समाधान के प्रति ईमानदार भी नहीं हैं, क्योंकि बेरोजगारी जैसे मुद्दे के सहारे उनकी राजनीति सधती है। ऐसे में देश के बेरोजगार युवकों से मेरी अपील यही है कि वे नौकरियों के पीछ बहुत समय न गँवाते हुए स्वदेशी उद्योग-धन्धे खड़े करने के काम में लगें तो उनका और राष्ट्र, दोनों का भला होगा। इस देश में स्वावलम्बन की अपार संभावनाएं हैं।
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पंचगव्य
गोमूत्र माने देशी गाय (जर्सी नहीं) के शरीर से निकला हुआ सीधा साधा मूत्र जिसे सती के आठ परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो। गोमूत्र वात और कफ को अकेला ही नियंत्रित कर लेता हैं। पित्त के रोगों के लिए इसमें कुछ औषधियाँ मिलायी जाती हैं। आधा कप देशी गाय का गोमूत्र सुबह पीने से दमा अस्थमा, ब्रोन्कियल अस्थमा सब ठीक होता हैं और गोमूत्र पीने से टीबी भी ठीक हो जाता हैं, लगातार पांच छह महीने पीना पड़ता हैं।
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स्वदेशी कंपनी सूची
आज जहाँ भी रहते हैं । उसके आस-पास सैकड़ों स्वदेशी वस्तुएं बनती हैं, कृप्या आप इनके बारे में जानकारी करें और उन स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग एवं प्रचार करें । रातों-रात कोई भी स्वदेशी वस्तु विदेशी हो सकती हैं । भारत के बाजार में वैश्वीकरण की प्रक्रिया के बाद बहुत सारे ब्राण्ड वस्तुएँ स्वदेशी से विदेशी हो जाती हैं । कृपया आप अपने स्तर से अखबारों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से इस सन्दर्भ में ताजा जानकारी करते रहें ।
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गुरूकुल शिक्षा
हमारे गुरुकुलों में ऋषि – महार्षिओं ने पुरुषों की 72 कलाओं एवं स्त्रीओं की 64 कलाओं का प्रशिक्षण देकर भौतिक क्षेत्र में भी सभी को सामर्थवान् बना दिया था। सिर्फ इतना ही नहीं, उन कलाओं को धर्मकला से नियन्त्रित करके उन्हें आध्यात्मिक मार्ग की ओर अग्रसर भी किया था। आज से 200 वर्ष पहले तक जिस प्रकार की उत्तम शिक्षा भारत में दी जाती थी, वैसी विश्व के किसी भी देश में नही दी जाती थी। अंग्रेजों के आगमन से पहले शिक्षा और विद्या प्रचार के क्षेत्र में भारत दुनिया के देशों में सबसे अग्रणी माना जाता था। हमारे प्राचीन भारत में शत-प्रतिशत साक्षरता थी।
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वैदिक गणित
भारत में कम ही लोग जानते हैं कि वैदिक गणित नाम का भी कोई गणित हैं। जो जानते भी हैं, वे इसे विवादास्पद मानते हैं कि वेदों में किसी अलग गणना प्रणाली का उल्लेख हैं, पर विदेशों में बहुत से लोग मानने लगे हैं कि भारत की प्राचीन वैदिक विधि से गणित के हिसाब लगाने में न केवल मजा आता हैं, उससे आत्मविश्वास मिलता हैं और स्मरणशक्ति भी बढ़ती हैं, मन ही मन हिसाब लगाने की यह विधि भारत के स्कूलओं में शायद ही पढ़ाई जाती हैं। भारत के शिक्षाशास्त्रियों का अब भी यही विश्वास हैं कि असली ज्ञान-विज्ञान वही हैं, जो इंग्लैण्ड-अमेरिका से आता हैं।
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स्वदेशी उत्पाद विधि
प्राकृतिक संसाधनों की भरभार है व पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, फसलों की विविधताएं है, खनिज संसाधन है, काम करने वाले अनगिनत हाथ है, और असली बात यह है कि हमारे देश में प्रतिभा है। जरूरत सिर्फ दृढ़ संकल्प जगाने की है, हम बहुत कुछ कर सकते है। सचमुच आज देश में स्वदेशी व्यवस्था कायम करने की महती आवश्यकता है, अन्यथा, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की खतरनाक किस्म की आर्थिक गुलामी से हम बच नहीं पाएंगे।
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भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति (सनातम धर्म) की जितनी मान्यताएं हैं उन्हें ऋषि-मुनियों और विद्वानों ने यूं ही बना दिया है या उन मान्यताओं के पीछे कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा है। पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, देवी-देवताओं का पूजन आदि क्या केवल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही किया जाता है शायद नहीं। इन पूजन के पीछे अवश्य ही अन्य कोई रहस्य भी है। वे रहस्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उचित है या अनुचित।
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भारतीय इतिहास
1 सितम्बर 1857 से लेकर 1 नवम्बर 1858 तक हिन्दुतान से करीब 7 लाख क्रांतिकारियों का अंग्रेजो ने कत्ल करवा दिया। और कत्ल भी कैसे किया अगर आप सुनेगे तो हैरान हो जायेंगे। एक बिठुर नाम का छोटा सा शहर है कानपूर के नजदीक वहा के 2 बड़े क्रन्तिकारी थे नाना साहब पेशवा और तात्या टोपे। ये दोनों क्रांतिकारियों के शहर के 24 हजार लोगो को गोलियों और तलवार से काटकर मार दिया।
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संस्कृत सीखें
संस्कृत , विश्व की सम्भवतः प्राचीनतम भाषा है। इसे ' देवभाषा ' और ' सुरभारती ' भी कहते हैं। संस्कृत विश्व की अनेक भाषाओं की जननी है। संस्कृत में सनातन धर्म के अतिरिक्त बौद्ध एवं जैन धर्म का साहित्य भी विपुल मात्रा में उपलब्ध है। संस्कृत मात्र धर्म संबंधी साहित्य की ही भाषा नहीं है , अपितु संस्कृत में विज्ञान ( भौतिक, रसायन, आयुर्वेद, गणित, ज्योतिषादि ) विषयों के ग्रन्थों की सूची भी छोटी-मोटी नहीं है।
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दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं साबुन, शैम्पू, क्रीम, तेल, जूता, कपडे, पैन, घडी, मोबाईल, पानी की बोतल, चाय, काँफी, अचार का डिब्बा,......यहाँ तक नमक भी इनमें अधिकाँश वस्तुऐं विदेशी होती है। अभी भी वक्त है अगर अभी भी हमने ध्यान नहीं दिया तो भारत में आर्थिक गुलामी आ जायेगी। भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियों की गुलाम बन जायेगी।
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सवाल-जवाब
यदि आप किसी को रोटी खिलाते हैं तो उसका सिर्फ एक दिन पेट भरेगा, लेकिन आप उसे रोटी बनाने का तरीका सीखा देते हैं तो जिंदगी भर पेट भरेगा - श्री राजीव दीक्षित जी
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