स्वदेशी मेरा तन,स्वदेशी मेरा प्राण ।
स्वदेशी ही धर्म,स्वदेशी है जीवन ।
कैसी दुर्भाग्य है हम हिंदुओं का कि हमें अपने हि राष्ट्र में शरणार्थी बनना पड रहा है।
Motion me roj problem ho Rahi hai kabhi kisi din motion hi nahi hota pir gas ban tati hai kya kare koi upchar bataye
दांतों में दर्द का कोई कुछ उपचार सुझाए
Machhar bhagane hetu kitne aur kya kya upay hai ???
I love aauyveda or swadeshi
Swasth kushhall bharat
Vande matram
जय जगन्नाथ
\"सर\" कहना छोड़िए
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\"नाड़ी द्वारा रोग पहचान\" पुस्तक
1 जनवरी हमारा नववर्ष नही है ..
गुड़ का सेवन अधिकांश लोग ठंड में ही करते हैं वह भी थोड़ी मात्रा में इस सोच के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान होता है। इसकी प्रवृति गर्म होती है, लेकिन ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम में खाया जा सकता है और पुराना गुड़ हमेशा औषधि के रूप में काम करता है।आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से बीमारियों में राहत मिलती है।
- गुड़ में सुक्रोज 59.7 प्रतिशत, ग्लूकोज 21.8 प्रतिशत, खनिज तरल 26प्रतिशत तथा जल अंश 8.86 प्रतिशत मौजूद होते हैं।इसके अलावा गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। इसलिए चाहे हर मौसम में आप गुड़ खाना न पसन्द करें लेकिन ठंड में गुड़ जरूर खाएं।
- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस व जस्ता पाया जाता है यही कारण है कि इसका रोजाना सेवन करने वालों का इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। गुड़ में मैग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए ये बॉडी को रिचार्ज करता है साथ ही इसे खाने से थकान भी दूर होती है।
- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है। रोजाना गुड़ का सेवन हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करता है। जिन लोगों को खून की कमी हो उन्हें रोज थोड़ी मात्रा में गुड़ जरूर खाना चाहिए। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है व सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है। यह लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।
- अगर आप गैस या एसिडिटी से परेशान हैं तो खाने के बाद थोड़ा गुड़ जरूर खाएं ऐसा करने से ये दोनों ही समस्याएं नहीं होती हैं। गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
- ठंड में कई लोगों को कान के दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में कान में सरसो का तेल डालने से व गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
इन बर्तनों में कभी भोजन ना करें -
कई बार लोग इसे जोड़ो से जुड़ा रोग समझ लेते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि हड्डियों में आने वाली इस तरह के आवाज का क्या मतलब है और इसके क्या नुकसान हैं।
जोड़ों में इसलिए आती है आवाज
जोड़ों से आने वाली आवाज को मेडिकल भाषा में क्रेपिटस कहा जाता है। क्रेपिटस सामान्य लोगों के जोड़ों को हिलाने-डुलाने पर आने वाली ध्वनि का मेडिकल नाम है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जोड़ों के भीतर रहने वाले द्रव में हवा के छोटे बुलबुले फूटते हैं। इन्हीं बुलबुलों के फूटने से यह आवाज पैदा होती है। कई बार जोड़ों के बाहर मौजूद मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स की रगड़ से भी आवाज सुनाई देती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत
बच्चों की हड्डियों में आने वाली आवाज से न डरें
अगर किसी बच्चे या किशोरावस्था में हड्डियों से कट-कट की आवाज आ रही है और उसकी हड्डियों में कोई दर्द या परेशानी का अनुभव नहीं हो रहा है तो परेशानी की कोई बात नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि बच्च्चे की हड्डियां कमजोर हैं या उसके शरीर में कैल्शियम की कमी है। हड्डियों से कट-कट की आवाज आने का मतलब है कि उसकी हड्डियों में वायु अधिक है। इस वजह से हड्डियों के जोड़ों में एयर बबल्स बनते हैं। और टूटते हैं। जिसकी वजह से हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है।
हड्डियों की आवाज से ऐसे पायें छुटकारा
मेथी का दाने
अगर आपको अक्सर यह समस्या होती है, तो जैसा हमने बताया यह गठिया का या हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकते हैं। इसलिए इससे समय पर राहत पाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप कई घरेलू उपाय ट्राई कर सकते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए रात को आधा चम्मच मेथी दाना पानी में भिगो दें और सुबह मेथी दानों को चबा-चबा कर खाएं। उसके बाद पानी पी लें। इससे हड्डियों के बीच एयर बबल्स की समस्या खत्म हो सकती है।
दूध, गुड़ और चने
कई बार आवाज आने के मतलब हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि ज्यादा उम्र के लोगों की हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है और दर्द होता है। इससे छुटकारा पाने के लिए और कैल्शियम की पूर्ति के लिए हल्दी वाले दूध का सेवन जरूर करें। इसके अलावा दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने जरूर खाएं। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर हो जाएगी।
खजूर को घी के साथ सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।
यह संयोजन मासिक धर्म की भर्ती या रजोनिवृत्ति के मिशन से लेकर यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से सहायक है।
यह कम टेस्टोस्टेरोन लेवल से स्टैटिस्टिक्स पुरुषों के लिए भी बहुत बढ़िया है।
घी में शामिल किए गए खजूर आपके दिल के स्वास्थ्य को एक शक्तिशाली बढ़ावा दे सकते हैं।
घी में शामिल खजूर पोषक तत्वों का एक पावरहाउस हैं जो आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, घी में भिगोया हुआ खजूर शरीर के गहरे ऊतकों को पुनर्जीवित करता है।
यह इम्युनिटी को मजबूत बनाता है। इसके सेवन से आप दिनभर ऊर्जावान बने रहेंगे।
इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है और नींद भी अच्छी आती है।
इसका रोजाना सेवन करने से शरीर के छोटे-मोटे इंफेक्शन दूर हो जाते हैं।
खजूर आहार का एक अच्छा स्रोत है, जो मल त्याग को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे कब्ज की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है ।
खजूर और घी दोनों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इनका सेवन करने से जोड़ों में होने वाली सूजन से राहत मिल सकती है।
इस मिक्सचर के सेवन से ताकत और ताकत में सुधार लाने में मदद मिल सकती है, जिससे यह एथलीटों और फिटनेस के शौकीन लोगों के बीच लोकप्रिय हो सकता है।
बीजरहित खजूर को लगभग 30 मिनट तक पानी में भिगोकर रखें। खजूर को पानी से निकाल कर थपथपा कर सुखा लीजिये।
एक पैन को धीमी आंच पर गर्म करें 15-16 खजूर और 3 बड़े चम्मच घी डालें। घी पिघलने पर पैन में खजूर डाल दीजिए. खजूर को हर तरफ से लगभग 2-3 मिनट तक पकने दें या फिर जब तक वे सुनहरे भूरे रंग के न हो जाएं। आंच से उतारकर ठंडा होने दें, ठंडा होने पर खजूरों को घी में भिगोकर किसी एयरटाइट कंटेनर में रखें। अधिकतम स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रतिदिन 2 खजूर का सेवन करें।
डेयरी एलर्जी या उच्च लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों को घी में खजूर से बचना चाहिए। यदि आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का इतिहास है, या मधुमेह है तो सावधानी बरतें।