औषधीय पौधो द्वारा चिकित्सा

नीम

नीम का पौधा काफी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता हैं जिससे आस-पास की हवा शुद्ध रहती हैं। यदि देखा जाए तो नीम के फायदे अंतहीन
हैं इसे घर का डॉक्टर कहा जाए तो भी कुछ गलत नहीं होगा।
किसी तरह के त्वचा रोग से लड़ने में भी यह काफी मदद करता हैं। यदि नहाते समय पानी में इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर डाल दें और
फिर इसी पानी से नहाएं तो आपको त्वचा का रोग जैसी बीमारियाँ नहीं होती।
यदि सर्दी-जुकाम हो तो इसकी पत्तियों को उबाल लें और इस पानी के भाप को सांस के जरिए अंदर लें आपको काफी आराम मिलेगा। नीम की
पत्तयों को पीसकर चोट या मोच की जगह लगाने से काफी आराम मिलता हैं।
बुखार में भी इसकी पत्तियां काम आती हैं। एक कप पानी में नीम की 4-5 पत्तियां उबालकर पीना फायदेमंद होता हैं।


तुलसी

औषधीय पौधों में तुलसी की सबसे ज्यादा अहमियत हैं इसमें रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की गजब की शक्ति पाई जाती हैं।
इसकी पत्तियों में अलग प्रकार का तेल मौजूद होता हैं। जो पत्तियों से निकलकर धीरे-धीरे हवा में फैलने लगता हैं। इससे तुलसी के आस-पास की
वायु हमेशा शुद्ध और कीटाणु मुक्त होती हैं और इस वायु के सम्पर्क में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा तथा वात दर्द में भी फायदेमंद होते हैं। हर सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त विकार,
वात, पित्त जैसी कई समस्याएं दूर होने लगती हैं। तुलसी का दांतों से नहीं चबाना चाहिए इसे निगल लेना चाहिए।


आंवला

यह जड़ी बूटी एक बहुत ही शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो कि मुक्त कणों से होने वाली सेल ऑक्सीकरण को रोकती है। विरोधी उम्र
बढ़ने और कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग जैसे रोगों को रोकने के लिए एंटीऑक्सिडेंट महत्वपूर्ण हैं। 
यह कई बीमारियों के लिए उपचार प्रदान करता है और इसलिए इसका व्यापक रूप से आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है। आंवला विटामिन
सी में बहुत समृद्ध है, और कई खनिज और कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन शामिल हैं।


हल्दी

हल्दी जिसको Turmeric (Curcuma Longa) कहा जाता है यह पीसकर सब्जियों में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया
जाता है। हल्दी अपने गुणकारी रासायनिक तत्वों के कारण औषधि के समान लाभदायक होती है।
हल्दी में खून साफ़ करने और सूजन को ठीक करने के मजबूत गुणकारी तत्व होते हैं। अधिकांश परिवारों में सूखी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक, शोथनाशक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है। हल्दी की तासीर गर्म होती हैं |
हल्दी के सेवन से पेट में छिपे जीवाणु नष्ट होते हैं। हल्दी Penicillin तथा Streptomycin की तरह ही कीटाणुनाशक है। वात, पित्त
कफ के विकारों में हल्दी से फायदा  होता है।


एलोवेरा

एलोवेरा का पौधा चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता हैं। एलोवेरा के रस को
अमृत तुल्य बताया गया हैं।
फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है इसके अलावा मुहांसे, फटी एड़ियां, सन बर्न, आंखों के चारों ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है और
इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और ह्रदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता हैं।
एलोवेरा का रस बालों में लगाने से बाल काले, घने और नर्म रहते हैं लेकिन कहते हैं कि यह गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता हैं।


चिरायता / भुईनीम

चिरायता का रस जॉन्डिस जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता हैं। इसकी पत्तियों और बीजों का काढ़ा बना लें।
काढ़ा बनाने के लिए इसकी 50 ग्राम पत्ती को दो कप पानी में उबाल लें। जब यह पानी उबलकर आधा बचे तो इसका सेवन करें यह जॉन्डिस के असर
को कम करता हैं।
इसकी पत्तियां पीसकर यदि दाद-खाज, खुजली पर लगाया जाए तो काफी फायदा होता हैं।


पत्थरचट्टा

यदि पेट में पथरी है तो पत्थरचट्टा का पौधा आपके काम आ सकता हैं। इसके दो पत्तों को अच्छी तरह से धोकर सुबह सवेरे खाली पेट
गर्म पानी के साथ चबा के खाएं।
एक हफ्ते के अन्दर पथरी को यह खत्म कर देता हैं। इसके बाद अल्ट्रासांउड या सिटी स्कैन जरूर करा लें।
पत्थरचट्टा के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती हैं यह पथरी के अलावा सभी तरह के मूत्र रोग में
लाभदायक होता हैं।


शंख-पुष्पी

पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तना का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके लगातार इस्तेमाल से
बच्चों की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता हैं।
शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक और एक अच्छी तनाव दूर करने की औषधी माना गया हैं।
इसकी पत्तियों का इस्तेमाल अस्थमा के लिए किया जाता हैं। इसे अल्सर और दिल की बीमारी आदि के लिए बेहतरीन माना जाता हैं।


अश्वगंधा

अश्वगंधा के पौधे में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन घटाने, लकवा आदि से लड़ने में आपकी मदद करते हैं ये पौधे बुखार,
संक्रमण और सूजन आदि शारीरिक समस्याओं के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। अश्वगंधा चाय पौधों की जड़ों और पत्तियों से बनी होती हैं।
शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की याद्दाश्त को बढ़ाने में मदद करता हैं।
अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है तथा वजन कम करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता हैं। प्लेग के लिए यह रामबाण औषधि हैं। इससे
टूटी हड्डी को भी जोड़ा जाता हैं।
गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से फायदा होता हैं क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता हैं। इसमें हार्ट अटैक के खतरे को कम
करने की क्षमता मौजूद होती हैं। यह मधुमेह से ग्रसित लोगो में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता हैं।


अशोक

आमतौर पर लोग इस वृक्ष को एक सजावटी वृक्ष के रूप में जानते हैं। लेकिन इस पौधे के औषधीय गुण भी कुछ कम नहीं हैं। इस
वृक्ष का वानस्पतिक नाम सारेका इण्डिका है।
यह सीजलपीनिएसी कुल का सदस्य है। इसकी छाल का उपयोग स्तंभक के रूप में किया जाता है।
इसका काढ़ा मुख्य रूप से पेचिश, बवासीर, अतिरजःस्राव एवं श्वेतप्रदर में लाभदायक है। इसके सूखे हुए फूल मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक हैं
केरल में इसके सूखे हुए फूलों का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है।